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राम मंदिर का इतिहास, Ram Mandir, राम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा history of Ram mandir ayodhya

 श्री राम मंदिर अयोध्या 


Ram Mandir Ayodhya

  राम मंदिर का इतिहास 

राम मंदिर हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है। राम मंदिर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित है।
  माना जाता है कि भगवान राम का जन्म इस स्थान पर हुआ था। माना जाता है कि भगवान राम के समाधि लेने के बाद भगवान राम के पुत्र कुश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।  उसके बाद ईसा के 100 बर्ष पूर्व उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने 84 सतम्भों पर विशाल मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था। 
ऐसा कहा जाता है कि ईसा की 11 वीं शताब्दी में कन्नौज के नरेश जयचंद ने मंदिर पर सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेख की जगह अपना नाम दर्ज कर दिया।

 विवाद की शुरुआत 


    7 वीं सदी के बाद मुग़ल आक्रांताओं के आक्रमण भारत पर बढ़ गय, आक्रमणकारियों द्वारा काशी, मथुरा, अयोध्या आदि मंदिरों में लूटपाट करने और पुजारियों को मारने का क्रम जारी रहा। 

   लेकिन 14 वीं शताब्दी तक राम मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो पाए। क्योंकि आसपास के राजा और हजारों साधुओं ने मंदिर को बचाने का काम किया और अपने प्राणों का बलिदान दिया। 

 आखिरकार वर्ष 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने मंदिर गिराया और मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया। 
 इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था।

राम मंदिर के लिए कानूनी जंग

  1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई। 
   साल 1950में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की। 
  वर्ष 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल पर कब्जे और मूर्तियों को हटाने की मांग को लेकर याचिका दायर की। 
वर्ष 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित ढांचे के स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन किया। 
 वर्ष 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला न्यायाधीश केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को ढांचे से ताला हटाने का आदेश दिया, जिससे हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति मिल गई। 

बाबरी मस्ज़िद का ढांचा गिराया 

         
        

Babari Masjid
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  6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत अन्य हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था। देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

  साल 2002 में गोधरा में हिंदू समाज को ले जा रही ट्रेन में आग लग गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी। इसके चलते गुजरात में भड़के दंगों में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।

  साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला मंदिर और निर्मोही क्षेत्र के बीच 3 समता-बारबरा विचारधारा वाले अलास्का स्थल पर आग लगाने का आदेश दिया था।

  साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या विवाद पर आए फैसले पर रोक लगा दी थी।

कोर्ट से बाहर मामले को सुलझाने की कोशिश:-


2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट से बाहर मामले को सुलझाने की बात कही। शीर्ष भाजपा नेताओं पर फिर से आपराधिक साजिश के आरोप लगे।

8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया। पैनल को 8 सप्ताह के भीतर कार्यवाही पूरी करने को कहा गया।

2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रहा।

राम मंदिर के पक्ष में फैसला 


9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। विवादित जमीन में से 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्ष को दी गई। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।

राम मंदिर निर्माण और भूमि पूजन कार्यक्रम:

Ram Lalla in Ram Mandir 

  सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण जोरों पर शुरू हो गया है। निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह और भूतल का काम पूरा हो चुका है। राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम 5 अगस्त 2020 को संपन्न हुआ। राम मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को संपन्न हुआ। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान के रूप में उपस्थित रहे। समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संतों समेत कई लोगों को आमंत्रित किया गया था। अयोध्या पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करने गए। उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। 

         

 राम मंदिर का निर्माण कार्य साल 2025 के मध्य तक पूरा होने की संभावना है।

 

कैसे पहुंचें राम मंदिर अयोध्या  

1. हवाई मार्ग से

अगर आप हवाई मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं, तो अयोध्या के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा अयोध्या एयरपोर्ट (मंगल भवन हवाई अड्डा) है, जो मुख्य शहर से लगभग 10-12 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा, लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (140 किलोमीटर दूर) भी एक विकल्प है। वहां से आप टैक्सी या बस द्वारा अयोध्या पहुंच सकते हैं।

2. रेल मार्ग से

अयोध्या रेलवे स्टेशन (AY) देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज और दिल्ली से नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। अयोध्या रेलवे स्टेशन से राम मंदिर की दूरी लगभग 2-3 किलोमीटर है, जिसे आप ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या पैदल तय कर सकते हैं।

3. सड़क मार्ग से

अयोध्या उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों और राज्यों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

  • राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 27 और NH 19) से अयोध्या तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • लखनऊ (135 किलोमीटर), वाराणसी (200 किलोमीटर), और गोरखपुर (125 किलोमीटर) से बस या निजी वाहन द्वारा यात्रा की जा सकती है।
  • राज्य परिवहन की बसें भी नियमित रूप से उपलब्ध हैं।

4. स्थानीय परिवहन

अयोध्या शहर के भीतर रिक्शा, ऑटो, और स्थानीय बसें आसानी से उपलब्ध हैं। राम मंदिर तक पहुंचने के लिए आप इनका उपयोग कर सकते हैं।

सुझाव

  1. मंदिर दर्शन के लिए सुबह जल्दी पहुंचे, ताकि भीड़ से बचा जा सके।
  2. अपने साथ पहचान पत्र और जरूरी सामान रखें।
  3. अयोध्या में अन्य धार्मिक स्थलों जैसे कनक भवन, हनुमानगढ़ी और सरयू नदी घाट का भी दर्शन कर सकते हैं।

राम मंदिर पहुंचने के लिए हर साधन सुगम और सुविधाजनक है। यह यात्रा आपके लिए आध्यात्मिक और यादगार अनुभव होगी।

       

       Jai Shree Ram 



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