काल भैरव मंदिर के रहस्य, काल भैरव मंदिर की कहानी

         इस मंदिर में चढाई जाती शराब 


Kaal vairb mandir ujjian

   हमारे देश में अनेक ऐसे मंदिर  हैं जिनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। उन्हीं में से एक है उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर काल भैरव प्रत्यक्ष रूप में मदिरापान करते हैं। मंदिर में काल भैरव के मुंह से जब शराब से भरे प्याले लगाये जाते तो देखते ही देखते यह प्याले खाली हो जाते हैं।

एक अंग्रेज ने की थी पता लगाने की कोशिश - 

  कहते हैं कि बहुत साल पहले एक अंग्रेज अधिकारी द्वारा इस बात का पता लगाने की कोशिश की गई कि आखिर यह
शराब जाती कहां है। उसने प्रतिमा आसपास  गहराई तक खुदाई करवाई लेकिन जब कुछ नतीजा नहीं निकला तो वह अंग्रेज भी काल भैरव का भक्त बन गया। 
  कहते हैं प्राचीन काल में यहां बहुत से तांत्रिक आते थे और उनके द्वारा अनके तांत्रिक क्रियांए की जाती थी। उसके बाद यह मंदिर आम जनता के लिए खोल दिया गया। 
काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है। यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। लेकिन इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई यह कोई नहीं जनता।

Kaal vairb mandir 1

 माना जाता है की यह एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर है वाम मार्ग के मंदिरों में मदिरा, मांस और वली जैसे प्रसाद चढ़ाये जाते हैं। कुछ सालों पहले यंहा जानवरों की वली चढ़ाई जाती थी परन्तु अब  यह प्रथा बन्द कर दी गई है। 
 कहते हैं यहां मदिरा चढ़ाने का भाव यह होता है कि वे अपने दुर्गणों को भगवान के सामने छोड़ रहें हैं। 
  कहते हैं मंदिर का जीर्णोद्वार परमार वंश के राजाओं ने करवाया था। मंदिर के पुजारी के अनुसार सकंद पुराण में काल भैरव की जगह के धार्मिक महत्व का वर्णन किया गया है। कहते हैं चारों भेदों के रचियता भगवान व्रम्हा ने जब पांचवें वेद की रचना करने का फैसला किया तो सभी देवता भगवान शिव जी की शरण में गए ताकि पांचवा भेद न रचा जा सके। 
लकिन व्रम्हा जी ने फिर भी किसी की बात नहीं मानी तो भगवान शिव जी को गुस्सा आया और उन्होंने तीसरे नेत्र से बालक भैरव को प्रकट किया। फिर इस उग्र स्वभाव के बालक ने गुस्से में आकर ब्रम्हा जी का पांचवा सिर काट दिया। लेकिन बाद में ब्रम्हा की हत्या का पाप दूर करने के लिए भैरव कई स्थानों पर गए लेकिन उन्हें शांति नहीं मिली। अंत में उन्हें भगवान शिव जी के पास जाना पड़ा। भगवान शिव ने उन्हें बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट के शमशान पर तपस्या करें तब जाकर उन्हें मुक्ति मिलेगी। 
 भगवान शिव के बताए अनुसार काल भैरव ने इस स्थान पर तपस्या की। उसी समय से यहाँ काल भैरव की पूजा होती है। बाद में यहाँ मंदिर बनाया गया। काल भैरव का जन्म भगवान शिव जी के क्रोध से हुआ था इसलिए उन्हें क्रोध वाला देवता मन जाता है लेकिन भक्तजन उन्हें बहुत दयालु और मुरादें पूरी करने वाला मानते हैं। 

                           

              जय बाबा काल भैरव। 

No comments: