Ads

शीतला माता मंदिर का इतिहास, History of Sheetla mata mandir

   जितना भी पानी भरो नही भरता यह घड़ा - 

                  Sheetla mata mandir

  राजस्थान के पाली जिले में माता शीतला को समर्पित एक प्राचीन और चमत्कारी मंदिर है। कहा जाता है कि यहाँ एक चमत्कारिक घड़ा है जो 800 वर्षों से भरा नहीं है। यह घड़ा एक पत्थर से ढका हुआ है। साल में दो बार, चैत्र महीने की शीतला अष्टमी और ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा पर, इसका ढक्कन हटाया जाता है, भक्त इसमें पानी डालते हैं। मान्यता है कि इस चमत्कारी घड़े में लाखों लीटर पानी डाला गया है, फिर भी यह भरने का नाम नहीं लेता। 
मान्यता के अनुसार, 800 साल पहले एक राक्षस था जिसका नाम बाबरा था, जिसने इस क्षेत्र में आतंक फैला रखा था। उसके भय से ग्रामीणों का जीवन का जीना दुश्वार हो गया था , जब भी किसी लड़की की शादी होती थी वह दूल्हे को मार देता था। इससे दुखी होकर, स्थानीय ब्राह्मणों ने माता शीतला से प्रार्थना की। वह एक ब्राह्मण के सपने में प्रकट हुई, यह वादा किया कि जब उसकी बेटी की शादी होगी, तो वह राक्षस को मारकर ग्रामीणों की रक्षा करेगी।


Sheetla mata mandir

शादी के दौरान, शीतला माता एक युवा लड़की के रूप में प्रकट हुईं। उन्होंने राक्षस को अपने घुटनों से दबाकर हराया। इस प्रक्रिया में, राक्षस ने शीतला माता से एक वरदान की मांग की, stating कि उसे गर्मी में अत्यधिक प्यास लगती है और उसने साल में दो बार पानी देने के लिए कहा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दिया, और यह परंपरा तब से जारी है।
  

शीला माता मंदिर, पाली, राजस्थान: इतिहास, महत्व और यात्रा गाइड

राजस्थान के पाली जिले में स्थित शीला माता मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी इसे विशेष बनाता है। यह मंदिर अपने सुंदर स्थापत्य, आध्यात्मिक ऊर्जा और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।


मंदिर की वास्तुकला

मंदिर की संरचना राजस्थानी स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें बारीक नक्काशीदार पत्थर, सुंदर तोरण द्वार और जटिल मूर्तिकला शामिल हैं। मंदिर के गर्भगृह में शीला माता की भव्य प्रतिमा विराजमान है, जो भक्तों को अद्भुत ऊर्जा और शांति का अनुभव कराती है।

धार्मिक महत्व

शीला माता मंदिर विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान भव्यता से सजता है। इन नौ दिनों में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि देवी शीला माता के दर्शन से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

कैसे पहुंचे शीला माता मंदिर

  1. हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर एयरपोर्ट है, जो पाली से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
  2. रेल मार्ग: पाली रेलवे स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या स्थानीय वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।
  3. सड़क मार्ग: राजस्थान के प्रमुख शहरों से पाली अच्छी सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है।

मंदिर दर्शन का समय

मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। विशेष अवसरों और त्योहारों के दौरान मंदिर के दर्शन का समय बढ़ा दिया जाता है।

मंदिर के पास आकर्षण स्थल

  1. जवाई बांध: प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान।
  2. पाली की हनुमान गढ़ी: एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल।
  3. सोजत मेहंदी फॉर्म्स: हर्बल और प्राकृतिक उत्पादों के लिए प्रसिद्ध।

यात्रा के लिए सुझाव

  • मंदिर में दर्शन के लिए प्रातःकाल का समय उत्तम है।
  • नवरात्रि और अन्य त्योहारों के दौरान मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं, जो यात्रा के लिए आदर्श समय हो सकते हैं।
  • यात्रा के दौरान स्थानीय व्यंजन जैसे दाल-बाटी-चूरमा और घेवर का स्वाद अवश्य लें।

निष्कर्ष

शीला माता मंदिर, पाली, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्राकृतिक सुंदरता हर यात्री को मोहित कर देती है। यदि आप पाली की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो शीला माता मंदिर अवश्य शामिल करें।

आशा है कि यह यात्रा आपको आत्मिक शांति और सुख का अनुभव कराएगी।


जय माता दी। 

कोई टिप्पणी नहीं: