इस मंदिर में होते हैं हजारों चूहे -
पूरी होगी ऐसा माना जाता है। वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है परंतु नवरात्रों में यहां विशेष मेला भी लगता है।
माँ करणी की कहानी -
माँ करणी राजपूताना की प्रसिद्ध देवी है। लेकिन इनकी ख्याति राजपूताना के बहार दूर दूर तक फैली हुई है। करणी माता के जन्म से लेकर 150 सालों तक माता के हाथों से जो चमत्कारिक कार्य हुए उनके कारण सैंकड़ों साल बाद भी उनकी पूजा का सिलसिला जारी है।करणी माता का मंदिर माता के अंर्तध्यान होने के बाद राजपूत राजाओं ने बनबाया था। माना जाता है कि देवी दुर्गा ने राजस्थान में चारण जाति के परिवार में कन्या के रूप में जन्म लिया था फिर अपनी शक्तयों से सभी का हित करते हुए वीकानेर और जोधपुर पर शासन करने बाले राजाओं की आराध्य बनी।
1387 में जोधपुर के गांव में जन्मी इस कन्या का नाम वैसे तो रीघुभाई था लेकिन जनकल्याण के कार्यों इन्हें करणी माता के नाम से पूजा जाने लगा।
माना जाता है कि माता के बेटे की कुँए में गिरकर मृत्यु होने के पश्चात् उन्होंने यमराज से इसे पुनः जीवित करने की प्रार्थना की। करणी माता की प्रार्थना पर यमराज ने उनके पुत्र को जीवित तो कर दिया लेकिन चूहे के रूप में। तब से यही माना जाता है कि करणी माता के वंशज मृत्युपर्यन्त चूहे के रूप में जन्म लेते हैं और इस मंदिर में स्थान पाते हैं। चील और गिद्दों से चूहों की सुरक्षा के लिए मंदिर के प्रांगण में बाहरी जाली लगाई हुई है।
जय माता दी।
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